Monday, February 21

एक गुज़ारिश



बादलों ने उस रात एक साज़िश की
मिट्टी के घरों पे बस बारिश हुई
सर्द हवाओं ने फिर खिलवाड़ किया
बरसात में आसुंओं का था नामों-निशाँ कहाँ
बेबस कांपती निगाहों ने एक गुज़ारिश की

अगले जीवन में ऐसा धोखा न हो
मेहनत से परहेज़ नहीं,
संघर्ष से गिला नहीं
पर ज़िन्दगी 'जीने' का एक मौका तो हो

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