simple enough
The bitter sweet recollections of wandering in the bylanes of hope and despair.
Thursday, April 11
थोड़ा और
इस इत्तेफ़ाक़ को थोड़ा और परख लेते
आरज़ू में ज़िंदगी बिताई
थोड़ा और ठहर लेते
कुछ इस परवाने का भी हाल समझ लेते
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